By Pooja Shripal Last Updated:
सदियों के इंतजार के बाद आखिरकार अयोध्या के राम मंदिर (Ram Mandir) का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को होने जा रहा है, जो बेशक साल 2024 का सबसे बड़ा इवेंट होने जा रहा है। लगभग 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद यह 5 अगस्त 2020 को था, जब भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का भूमि-पूजन किया था और अब 41 महीने के भीतर भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर बनकर खड़ा हो गया है। 22 जनवरी 2024 वह तारीख है, जिस दिन बहुप्रतीक्षित प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया जाएगा।
हर सनातनी अपने जीवन में अयोध्या राम मंदिर के सांस्कृतिक महत्व से परिचित है। हालांकि, इसके निर्माण के बारे में शायद लोग कम ही जानते होंगे। बता दें कि राम मंदिर कुल 70 एकड़ क्षेत्र में बना है और मंदिर का क्षेत्रफल 2.77 एकड़ में फैला हुआ है। मंदिर की लंबाई 380 फीट है, जबकि इसकी ऊंचाई 161 फीट है। राम मंदिर में 392 खंभे, 44 दरवाजे और तीन मंजिल हैं।
अयोध्या राम मंदिर का वास्तुशिल्प डिजाइन प्रतिष्ठित भारतीय नागर शैली है, जिसके निशान 5वीं शताब्दी तक मिलते हैं। 'लार्सन एंड टुब्रो' वह निर्माण कंपनी है, जिसने मंदिर का निर्माण किया, जबकि 'टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड' ने प्रोजेक्ट के मैनेजमेंट कंपनी के रूप में काम किया है। राम मंदिर के लिए डिजाइन सलाहकारों की लिस्ट में 'नेशनल जियो रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद', 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स', 'आईआईटी गुवाहाटी', 'आईआईटी चेन्नई', 'आईआईटी बॉम्बे', 'एनआईटी सूरत' और 'सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रूड़की' जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं।
चंद्रकांत सोमपुरा (Chandrakant Sompura) वह नाम है, जो भारतीय इतिहास की किताबों में अंकित है, क्योंकि वह अयोध्या राम मंदिर के मुख्य वास्तुकार हैं। प्रसिद्ध मंदिर वास्तुकारों के परिवार से आने वाले चंद्रकांत सोमपुरा वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने लगभग तीन दशक पहले मास्टर प्लान बनाने के लिए खुद उस क्षेत्र को मापा था। चंद्रकांत अपने परिवार की 15वीं पीढ़ी से हैं और उनका भारत में मंदिर वास्तुकार के रूप में काम करने का एक लंबा इतिहास है।
कई रिकॉर्ड के अनुसार, सोमपुरा परिवार ने भारत और विदेशों में 200 से अधिक मंदिरों को डिजाइन किया है। उनके द्वारा बनाए गए प्रसिद्ध मंदिरों में गुजरात में पुनर्जीवित 'सोमनाथ मंदिर', गुजरात में 'अक्षरधाम मंदिर' परिसर, मुंबई में 'स्वामीनारायण मंदिर' और कोलकाता में प्रतिष्ठित 'बिड़ला मंदिर' शामिल हैं। अपने पोर्टफोलियो में इतने सारे प्रतिष्ठित मंदिरों के साथ, सोमपुरा परिवार भारत के मंदिर वास्तुकला में सबसे बड़े नामों में से एक है।
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चंद्रकांत सोमपुरा ने अपने बेटों निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा के साथ अयोध्या राम मंदिर की वास्तुकला पर काम किया है, जो अपने पिता के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। एक बार एक प्रमुख प्रकाशन के साथ एक साक्षात्कार में चंद्रकांत सोमपुरा ने खुलासा किया था कि दिवंगत 'वीएचपी' (विश्व हिंदू परिषद) प्रमुख अशोक सिंघल ने अयोध्या राम मंदिर के निर्माण के संबंध में उनसे संपर्क किया था। वास्तुकार ने आगे बताया था कि वह भूमि का निरीक्षण करने के लिए अयोध्या गए थे, लेकिन कड़ी सुरक्षा के कारण उन्होंने खुद को एक भक्त के रूप में बताया था।
जब चंद्रकांत सोमपुरा से पूछा गया कि वह वही हैं, जिनसे अशोक सिंघल ने अयोध्या राम मंदिर के लिए संपर्क किया था, जिन्होंने अपने कदमों से जमीन को मापा था। वास्तुकार ने जवाब देते हुए कहा था कि दिवंगत VHP प्रमुख कोलकाता के 'बिड़ला मंदिर' की वास्तुकला से प्रभावित थे, जो उन्होंने किया था। उसी साक्षात्कार में चंद्रकांत ने खुलासा किया था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले और मंदिर ट्रस्ट द्वारा उनकी योजना को बरकरार रखने के फैसले के बाद वह धरती पर सबसे खुश व्यक्ति थे, जिसे 1990 के दशक की शुरुआत में संतों और गुरुओं ने स्वीकार कर लिया था।
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चंद्रकांत सोमपुरा ने लगभग 30 साल पहले अयोध्या राम मंदिर का खाका तैयार किया था। अदालती लड़ाई के कारण निर्माण में देरी हुई, लेकिन 30 साल बाद भी चंद्रकांत सोमपुरा के डिजाइन का चयन किया गया और इसने वास्तव में मंदिर की लंबी उम्र के बारे में कई सवाल खड़े कर दिए।
हालांकि, 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के साथ हालिया साक्षात्कार में चंद्रकांत सोमपुरा ने खुलासा किया कि अयोध्या राम मंदिर अगले 2500 वर्षों तक भूकंप और बाढ़ से प्रभावित नहीं होगा। हमें उम्मीद है कि अयोध्या राम मंदिर के बारे में चंद्रकांत सोमपुरा के शब्द सच होंगे और सदियों तक कायम रहेंगे।
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फिलहाल, अयोध्या राम मंदिर की वास्तुकला पर आपके क्या विचार हैं? क्या आप चंद्रकांत सोमपुरा के कार्यों से प्रभावित हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।